खूबसूरती के राज होम्योपैथी के साथ
(भाग-3)
खूबसूरती एक ऐसी चीज
है जो सबको अच्छी लगती हैं। सभी
खुबसूरत दिखना चाहते हैं और इसके लिए तरह-तरह के जतन भी करते हैं,परन्तु कभी-कभी कुछ ऐसे रोग हो
जाते हैं जिसके कारण हमारी खूबसूरती कम होने लगती हैं और मन में एक प्रकार की
हीनभावना आने लगती हैं। इसी
प्रकार का एक रोग हैं मस्से का जो
खूबसूरती को कम करता हैं कई लोगो को चेहरे और शरीर के अन्य भागो में
छोटे-बड़े मस्से हो जाते है जो कि देखने में भद्दे लगते है.ये मस्से धीरे-धीरे बढ़ते
जाते है
कारण .....
होम्योपैथी के अनुसार मस्से होने का एक कारण
सायकोसीस होता है.ये अनुवांशिक हो सकते हैं
प्रकार .....
मस्से कई प्रकार के होते है जैसे ...
चपटे मस्से
गोभी के फूल जैसे आकार के मस्से
मस्से के ऊपर बाल होना
लाल,भूरे,काले या सफ़ेद रंग के मस्से
कहाँ-कहाँ
हो सकते है ....
मस्से शरीर के किसी भी भाग में हो सकते हैं .ये सिर
से पैर तक कही भी हो सकते हैं
किसको होते हैं .....
मस्से किसी भी स्त्री-पुरुष या बच्चो किसी को भी हो
सकते हैं
होम्योपेथिक उपचार ....
होम्योपेथिक दवाइयों से मस्से न सिर्फ ठीक हो जाते
हैं बल्कि दुबारा भी नहीं होते हैं. चूँकि मस्से एक प्रकार का चर्मरोग होता है अत:
इसको ठीक होने में थोडा समय लगता हैं.ये दवाए मस्सो के लिए दी जा सकती हैं.....
थूजा(THUJA)
कॉस्टीकम(CAUSTICUM)
काली-म्यूर(KALI-MUR)
लायकोपोडियम(LYCOPODIUM)
काली-ब्रोम(KALI-BROM)
नाइट्रिक-एसिड(NITRIC-ACID)
स्टेफिसेग्रिया(STAPHYSANGRIA)
कॉस्टीकम(CAUSTICUM)
काली-म्यूर(KALI-MUR)
लायकोपोडियम(LYCOPODIUM)
काली-ब्रोम(KALI-BROM)
नाइट्रिक-एसिड(NITRIC-ACID)
स्टेफिसेग्रिया(STAPHYSANGRIA)
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