Monday, February 13, 2017

नाड़ी खोल देती हैं शरीर के सारे राज

         नाड़ी खोल देती हैं शरीर के सारे राज





नाड़ी देख कर रोग की जानकारी देना हमारे यहाँ की एक प्राचीन विद्या हैं  पहले के समय में चिकित्सक किसी भी व्यक्ति की नाड़ी देख कर उसके रोग के बारे में बता देते थे यहाँ तक कि शरीर के किस अंग में रोग या तकलीफ हैं, रोगी ने क्या खाया या पिया हैं या भविष्य में उसे कौन सा रोग हो सकता हैं आदि परन्तु रोगों की जांच के लिए जैसे-जैसे आधुनिक मशीनों का उपयोग होने लगा, इस विद्या का उपयोग कम होने लगा हैं वैसे आज भी हमारे देश में ऐसे बहुत से डॉक्टर हैं जो नाड़ी देख कर रोग के बारे में बता देते हैं



क्या होता हैं नाड़ी देखना ....

हमारा हार्ट हर समय फैलता और सिकुड़ता यानी धड़कता रहता हैं जब हार्ट फैलता हैं तो उसके अंदर फेफड़ो (Lungs) से शुद्ध रक्त आ जाता हैं, और उसके बाद जब सिकुड़ता हैं तो यह शुद्ध रक्त महाधमनी (Aorta) में चला जाता हैं महाधमनी शरीर की सभी धमनियों (Artery) को ये रक्त भेजती हैं इस प्रकार से  धमनी (Artery) में रक्त के जाने से हर बार धक्का लगता हैं  इस धक्के को ही  नाड़ी का स्पंदन या उछाल कहते हैं नाड़ी के इस स्पंदन से रोग की जांच करने को ही नाड़ी देखना कहते हैं


कहाँ की नाड़ी देखते हैं ....

हमारे हाथ की कलाई की धमनी (Radial-Artery) की जगह नाड़ी देखी जाती हैं वैसे नाड़ी का यह स्पंदन शरीर के कई स्थानों पर महसूस किया जा सकता हैं


कब देखनी चाहिए नाड़ी .....

जब रोगी आराम कर रहा हो या सुबह के समय जब उसका पेट खाली हो


कब नहीं देखनी चाहिए नाड़ी ...

जब रोगी बहुत घबराया हुआ हो या सो कर उठा हो
खाना खाने के बाद
शारीरिक मेहनत करने के बाद



रोग की पहचान कैसे होती हैं नाड़ी से ....

नाड़ी से शरीर के रोगों के बारे में कैसे पता किया जाता हैं इसके बारे में यहाँ कुछ के बारे में जानकारी दे रही हूँ

1)      यदि दाहिने हाथ की नाड़ी सख्त, बारीक और कमजोर हो तो वह लीवर की कमजोरी बताती है
2)      जिस तरफ के फेफड़े (Lung) में कोई रोग होता हैं उस ओर की नाड़ी ऊँची होती हैं
3)      पुराने सिरदर्द वाले रोगी की नाड़ी प्राय: कमजोर होती हैं
4)      यदि बायी नाड़ी तेज हो और साथ में खांसी और बुखार भी हो तो फेफड़े  (lungs) में रोग होता हैं
5)    यदि बायी नाड़ी तीव्र हो परन्तु खांसी या बुखार नहीं हो तो यह मूत्राशय (Urinary-Bladder) की तकलीफ बताती हैं
6)      किडनी के रोग में नाड़ी कठोर और दृढ होती हैं
7)      यदि नाड़ी बिलकुल पतली या चीटीं की चल जैसी हो जाए तो यह मृत्यु की सूचक हैं
8)     यदि नाड़ी तेज और लगतार चलते-चलते अटकने लगे तो यह मौत के समीप होने की सूचना देती हैं
9)      यदि रोगी बुखार में दही खा लेता हैं तो उसकी नाड़ी गर्म और बहुत तेज हो जाती हैं
10)  बलगम की अधिकता होने पर नाड़ी मोटी हो जाती हैं
11)  पाइल्स के रोग में नाड़ी कभी धीमी, कभी टेढ़ी-मेढ़ी और कभी कोमल चलती हैं
12)  जोड़ो के दर्द में नाड़ी कभी-कभी तेजी से फडकती हैं, तो कभी दुर्बलता से
13)  पीरियड्स में तकलीफ होने पर नाड़ी मोटी और स्थिर हो जाती हैं
14)  तेल और गुड खाने वाले की नाड़ी कठोर और शक्तिशाली हो जाती हैं
15)  अधिक नमकीन भोजन से नाड़ी सीधी और तेज हो जाती हैं
16)  अधिक मीठा खाने वालो की नाड़ी उछल कर चलती हैं

17)  मूली खाने से नाड़ी की गति सुस्त हो जाती हैं

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