Tuesday, March 31, 2015

मासिक-धर्म का दर्द और होम्योपेथी


                मासिक-धर्म का दर्द और होम्योपेथी



मासिक -धर्म  नारी के शरीर की प्राक्रतिक क्रिया है।  स्वस्थ शरीर मे इससे कोई तकलीफ नहीं होती है, परंतु कभी-कभी बहुत सी महिलायो या लड़कियो को इसमे तेज दर्द होता है इसमें महिलाओं को पीरियड्स के समय कमर, जांघ,पेट के निचले हिस्से में अत्यधिक ऐंठन व दर्द होता हैं। यह दर्द कुछ घंटे से ले कर कुछ दिन तक रहता है। कभी-कभी यह दर्द लगातार बना रहता है, तो कभी रुक रुक कर होता है। इसे डिसमनॉरीया भी कहते है। ये दर्द पीरियड्स शुरू होने से बंद होने तक(MENARCHE TO MENOPAUSE) किसी भी उम्र मे हो सकता है। कई बार महिलाये   शर्म या झिझक के कारण  किसी से इस बारे मे बात नहीं कर पाती है, और तकलीफ़ सहती रहती है।। लेकिन होम्योपेथी से इसे ठीक किया जा सकता है।  



कारण ---


पीरियड्स के, दौरान प्रोस्टाग्लैंडीन नामक आणविक यौगिक स्रावित होते हैं। पीरियड्स के समय गर्भाशय(UTERUS) की वॉल मे तेजी से संकुचन होता है। जब गर्भाशय की वॉल मे संकुचन होता है,  जब गर्भाशय की मांसपेशियां सिकुड़ती हैं, वे अन्तःगर्भाशय के ऊतक में रक्त की आपूर्ति को बाधित करता है, तो थोड़ी देर के लिये ऑक्सिजन की सप्लाई कॅम हो जाती है,और ऑक्सिजन की कमी के कारण गर्भाशय(UTERUS) के टिश्यूस प्रोस्टाग्लैंडीन नामक केमिकल का स्त्राव करते है जिसके कारण दर्द होता है।  

 इसके अलावा कुछ और कारण भी हो सकते है जैसे---

एंडोमेट्रोसिस (Endometriosis)
पी.आई. ड़ी. (Pelvic inflammatory disease)
फिब्रॉइड (Fibroids)
गर्भनिरोधक तरीके (जैसे कॉपर टी)
मासिक-धर्म का अनियमित होना।
,ब्लीडिंग कम या ज्यादा होना।


लक्षण---- पेट के निचले हिस्से (पेडू) में दर्द ऐंठन होना
                कमर दर्द होना
                जांघो में दर्द होना
                सिरदर्द होना
         थकान , सुस्ती रहना  
                 अत्याधिक नींद आना
                 उल्टी होना (दर्द के कारण)
         कभी-कभी दस्त लग जाना या कब्ज हो जाये        
                  पेट फूलना
          चक्कर आना (कभी कभी बेहोश हो जाना) 
          ब्रेस्ट मे भारीपन लगना


 होम्योपेथिक दवाये ------


डिस्मेनॉरिया बहुत ही तकलीफदेय होता है, जिससे हर महिने महिलायों  और लड़कियों को गुजरना पड़ता है। लेकिन होम्योपेथी से इसे ठीक किया जा सकता है। होम्योपैथी में रोगी के शारीरिक और मानसिक लक्षण के अनुसार दवाये दी जांती हैं--- 

क़ोक़्क़लस -इंडिका (COCCULAS –INDICA 200)---  पेट के निचले हिस्से मे अत्याधिक दर्द ऐंठन होना। पीरियड्स के समय बहुत कमजोरी लगना, कब्ज रहना, गर्दन के पिछले हिस्से मे दर्द रहना, चक्कर आना, कमर दर्द होना। .पीरियड्स मे काले रंग का खून निकलता हैं।



केमोमिला (CHAMOMILA 200)--- पीरियड्स मे बहुत दर्द होता है। रोगी बहुत ही चिड़चिड़ी हो जाती हैं, बहुत ज्यादा क्रोध आता हैं।


कोलोफायलाम(CAULOPHYLUM 30)--- पीरियड्स में अत्यधिक दर्द होना, पीरियड्स शुरु होने के पहले पेट के निचले हिस्से में ऐंठन होती हैं। कमर दर्द  होती हैं। कभी -कभी पित्त की उल्टी भी हो जाती हैं।


सिमिसीफुगा (CIMICIFUGA 200)--- कमर मे अत्यधिक दर्द होना। ज्यादा ब्लीडिंग होने पर ज्यादा दर्द होना। हाथ -पैरो मे दर्द होना

 
पल्सटिला (PULSATILLA 30)--- इसे महिलायो की औषधि भी कहते है। पीरियड्स रुक जाने पर या अनियमित होने पर होने वाली तकलीफ मे उपयोगी है। रोगी को पूरे महीने यही लगता है की उसका पीरियड आने वाला है ।छोटी-छोटी बातो पर रोना आता है। दर्द अपना स्थान बदलते रहते है, कभी पेट मे दर्द होता है, तो कभी कमर मे तो, कभी जांघो में दर्द  होता है।


जेल्सीमियम (GELSIMIUM 30)--- हाथ-पैरो में कम्पन हो, चक्कर आये, सुस्ती रहे, थकान रहे, सोते रहने का मन हो, ब्लड-प्रेशर कम हो जाए तो ये उपयोगी है 


मेग-फॉस (MAG-PHOS 6X)--- पिरीयड्स के दर्द मे सिकाई करने पर आराम लगे। दर्द चारो तरफ फेलता हुया लगे। पीरियड्स समय से पहले आए, शरीर मे सूजन आ जाए, पेट दर्द मे आगे झुकने पर दर्द कम लगे, पेट फूला हुआ लगे तो ये उपयोगी है 



नोट-होम्योपैथी में रोग के कारण को दूर कर के रोगी को ठीक किया जाता है। प्रत्येक रोगी की दवा उसकी शारीरिक और मानसिक अवस्था के अनुसार अलग-अलग होती है। अतःबिना चिकित्सकीय परामर्श यहां दी हुई किसी भी दवा का उपयोग करें।

रोग और होम्योपैथी दवा के बारे में और अधिक जानकारी के लिए यहां लॉग इन कर सकते हैं।



2 comments: