शीत-पित्ती और होमियोपैथी
अक्सर कुछ लोगो को कभी-कभी शरीर पर लाल रंग के उभरे हुए निशान हो जाते
हैं। जिनमे बहुत तेज जलन
और खुजली होती हैं जिन्हें आमभाषा में पित्ती उछलना कहते हैं। इसे अर्टिकेरिया(Urticaria) भी कहते हैं।
ये कुछ समय में स्वत:ठीक हो जाती हैं, परन्तु कुछ समय बाद पुन: उभर आती हैं।
ये शरीर के किसी एक भाग में भी हो सकती हैं या
पूरे शरीर में भी हो सकती हैं।
कारण .... शीत-पित्त होने के कई कारण होते हैं जैसे ....
·
एकदम से
ठन्डे से गरम वातावरण में जाना।
·
एकदम
गर्म से ठन्डे वातावरण में जाना।
·
पसीने में
ठन्डे पानी से नहा लेना।
·
किसी
दवाई के साइड-इफ़ेक्ट के कारण।
·
पेट की
खराबी से।
·
पानी
में भीगने से।
·
खट्टी
चीजे खाने से।
·
धूप से
आते ही ठंडा पानी पीने से आदि।
·
किसी
प्रकार के खाने से।
लक्षण—
·
शरीर पर लाल रंग के उभरे हुए
चकत्ते या निशान होना।
·
जलन होना।
·
खुजली होना।
·
खुजली के बाद दर्द होना।
होम्योपैथीक
दवाये ....
होम्योपैथिक दवायो से शीत-पित्ती को हमेशा के लिए
ठीक किया जाता है। यहाँ कुछ दवाए जानकारी के लिए दी
जा रही है। अत: बिना डॉक्टर के परामर्श के न
ले .....
रस-टोक्स(Rhus-Tox)……
लाल रंग के उभरे हुए निशान
होना, जिनमे बहुत तेज जलन व खुली होना। जोड़ो
में दर्द होना। बारीश में ज्यादा तकलीफ होना।
पसीने
में ठन्डे वतावरण में जाने से पित्ती होना।
एन्टिम–क्रूड(Antim-Crud)….
ठन्डे पानी के कारण शीतपित्त निकलना।
पेट
की खराबी रहना जिसके कारण पित्ती निकलना। रात के
समय जलन व खुजली बहुत होना।
स्विमिंग पूल या नदी में नहाने के बाद पित्ती
निकलना। चिडचिड़ाहट होना। धूप
सहन न होना।
पल्साटिला(Pulsatilla)...
भारी भोजन के कारण शीत-पित्त निकलना।
छोटी-छोटी
बात पर रोना आना। पीरियड्स के समय पित्ती निकलना।
आर्स-एल्बम
(Ars-Album)....
लाल रंग के निशान होना,
जिनमे बहुत जलन हो।बैचेनी होना।
ठंडक या ठंडी चीजो से
तकलीफ होना। आधी रात को तकलीफ बढ़ जाना।
प्यास बहुत अधिक लगना।
नोट- होम्योपैथी में रोग के कारण को
दूर करके रोगी को ठीक किया जाता है।
प्रत्येक रोगी की
दवा उसकी शारीरिक और मानसिक अवस्था के अनुसार अलग-अलग होती है। अतः बिना चिकित्सकीय परामर्श यहां दी
हुई किसी भी
दवा का उपयोग न करें।
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