माईग्रेन और होम्योपैथी
आज के समय में हर व्यक्ति
भागदौड़ में लगा रहता हैं, उसके पास खुद के लिए समय
ही नहीं रहता हैं। ना समय पर खाना, ना सोना, प्रकृति
के विपरीत चलना तो मानो फैशन बन गया हैं। नतीजा तरह-तरह की बीमारिया होना।
माइग्रेन
भी इसी जीवनशैली का परिणाम हैं।
माईग्रेन एक प्रकार का
सिरदर्द हैं, जिसमे सिर के एक तरफ (दाहिनी या बायीं) दर्द होता हैं।
यह
दर्द कुछ घंटे से ले कर कुछ दिन तक रहता हैं। इसे
हिंदी में आधाशीशी या अधकपारी भी कहते हैं। माईग्रेन
का कोई समय निश्चित नहीं होता हैं, ये कभी तो जल्दी-जल्दी भी होता हैं, तो कभी
महीनों में होता हैं। ज्यादा पुराना (Chronic)
होने के कारण कुछ
लोगो को माईग्रेन का पहले से पता चल जाता हैं।
कभी-कभी अधिक दर्द के कारण उल्टी हो जाती हैं, जिससे दर्द में आराम आ जाता हैं।
कारण....
·
अनुवांशिक कारण।
·
कब्ज या पेट की खराबी।
·
हारमोन्स में परिवर्तन आना।
·
महिलायों में पीरियड्स की गड़बड़ी
के कारण।
·
ब्रेन के केमिकल्स का बैलेंस
बिगड़ना।
·
नींद पूरी ना होना।
·
दैनिक दिनचर्या में परिवर्तन होना।
·
तनाव के कारण।
·
गर्भनिरोधक गोलियों के कारण।
·
गलत खान-पान के कारण।
·
वातावरण में परिवर्तन आने के कारण।
किसको
होता हैं माईग्रेन....
माईग्रेन पुरुषो की अपेछा
महिलायों में ज्यादा होता हैं। यह 14
साल की उम्र से ले कर 40 साल की उम्र के लोगो को अधिक होता हैं।
लक्षण .....
·
सिर में एक तरफ (दायी या बायीं)
ओर तेज दर्द होता हैं।
·
दर्द कुछ घंटे से ले कर कुछ दिन
तक रहता हैं।
·
उल्टी होना या जी मचलना।
·
तेज रोशनी या आवाज़ सहन ना होना।
·
उल्टी होने पर दर्द कम होना।
·
अंधेरे में अकेले चुपचाप बैठना
अच्छा लगता हैं।
·
चिडचिडाहट होना या गुस्सा आना।
·
नींद ना आना।
·
धूप में जाने पर तकलीफ होना।
·
आँखों के ऊपर (आइब्रो पर दर्द)
होना।
·
कब्ज या दस्त रहना।
·
आखों के आगे अँधेरा छाना या अजीब
सी आकृतिया दिखना।
·
बार-बार यूरिन होना।
होम्योपैथिक
मेडिसिन .....
माईग्रेन के लिए
होम्योपैथिक मे बहुत सी दवायें हैं, जिन्हें कुछ समय तक लेने से माईग्रेन की
समस्या हमेशा के लिए ठीक हो जाती हैं। जानकारी
हेतु यहाँ पर कुछ होम्योपैथिक दवाए बताई हैं।
कृपया खुद उपचार ना करे, क्योकि होम्योपैथी में रोग के
कारण को दूर किया जाता हैं।
स्पाईजेलिया(Spigelia)….
बायीं ओर सिरदर्द होना, बहुत
तेज दर्द जो बायीं आँख के ऊपर आईब्रो पर ज्यादा होता हैं। रोशनी और शोर बर्दाश्त ना हो, चक्कर आते रहते
हैं।
साईलिसिया(Silicea)...
उपवास करने के कारण
सिरदर्द होना, ठण्ड से ज्यादा तकलीफ होना,
सिर
में अत्याधिक पसीना आता हैं। आँखों
में तेज दर्द होता हैं, गर्दन के पिछले भाग में
दर्द होता हैं। कुपोषण के कारण होने वाला सिरदर्द।
पूर्णमासी
के समय, पीरियड्स के समय ज्यादा तकलीफ होती हैं।
नेट्रम-म्यूर
(Nat-Mur)….
किसी भी मानसिक परेशानी के
कारण होने वाला सिरदर्द। धूप में जाने पर होने वाला
सिरदर्द। सूरज उगने से ले कर डूबने तक
सिरदर्द होता हैं, उसके बाद ठीक हो जाता हैं। एनीमिया
के कारण होने वाला सिरदर्द, खास कर
किशोरावस्था में होने वाला सिरदर्द, दर्द एक निश्चित समय पर होता हैं, जो लेटने या
सोने जाने पर कम हो जाता हैं।
काफिया (Coffea)...
अचानक ख़ुशी या किसी दुःख
के कारण माइग्रेन होना। शोर या किसी प्रकार की गंध
से सिरदर्द बढ़ जाना, सिर में असहनीय दर्द होता हैं। नींद
नहीं आती हैं।
ब्रायोनिया
(Bryonia)….
सीधी (Right side) तरफ
सिरदर्द हो, जो कि हिलने-डुलने पर ज्यादा बढ़ जाए, यहाँ तक कि आँख खोलने तक में
दर्द होता हैं। पेशेंट चुपचाप अंधेरे कमरे में
लेटे रहना चाहता हैं। पेशेंट बहुत चिडचिडा होता
हैं, जी मचलाता है, चक्कर आते हैं।
आईरिस-वर
(Iris-Versicolor)…
सामने की तरफ और सीधी तरफ
सिरदर्द होना, उल्टी होने पर सिरदर्द में आराम होना सिरदर्द होने के पहले आखों के
आगे धुंधलापन छा जाता हैं।
नोट- होम्योपैथी में
रोग के कारण को
दूर करके रोगी को ठीक किया जाता है। प्रत्येक रोगी की दवा, उसकी पोटेंसी,डोज आदि उसकी शारीरिक और मानसिक अवस्था के अनुसार अलग-अलग होती
हैं। अतः बिना चिकित्सकीय परामर्श यहां दी हुई किसी भी दवा का उपयोग न करें। रोग और होम्योपैथी दवा के बारे में और
अधिक जानकारी के लिए यहां लॉग इन कर सकते हैं।
No comments:
Post a Comment