(www.drneetisclinic.com)
फ़िल्मी सितारे और होमियोपैथी
कुछ समय पहले पॉप किंग माइकल जैक्सन का निधन हो गया था .लाखो दिलो पर राज करने वाला इंसान बेहद दर्दनाक परिस्थतियो में मृत्यु का शिकार हुआदरअसल यह पहली घटना नहीं है .हालीवुड और भारत में अनेक सेलिब्रिटिस इस दौर से गुजर चुके है .मर्लिन मुनरो ,परवीन बॉबी आदि कुछ पहचाने हुए नाम है जबकि इस फेरिहस्त में अनेको ऐसी गुमनाम मॉडलस के गुमे हुए नाम भी है जिनको लोग जानते तक नहीं है या भूल चुके है .
प्रायँ ऐसा देखा
जाता है कि
जब कोई इंसान
सतह से उठ
कर आसमान तक
जा पहुंचता है
तो यकायक मिली
इस सफलता को
संभलना उसके लिए
बहुत- बहुत मुश्किल
सा हो जाता
है विशेषकर ग्लेमर
की दुनिया में
रात दिन मेहनत
करके या किस्मत
की बदौलत जब
कोई व्यक्ति साधारण
इंसान से उपर
उठ कर सितारा
हस्ती प्राप्त कर
लेता है तो
उसे मिली अपार
सफलता दो भागो
में बंट जाती
है
पहली अवस्था में बढती
लोकप्रियता ,लगातार ऊँचा होता
बैंक बैलेंस और
हर तरफ अपना
ही नाम इंसान
को प्राय:सफलता
के नशे में
चूर कर देता
है .इस अवस्था
में वो दुनिया
के सारे सुख
-साधन और अय्याशियों
को हासिल कर
लेना चाहता है
क्योकि की उसे
लगता है की
जब तक वह
जिन्दा रहेगा तब तक
सफलता का ये
दौर चलता रहेगा
.
दूसरी अवस्था जब व्यक्ति की
सफलता का ग्राफ
गिरने लगता है
तब उसके मन
में अवसाद (डिप्रेसन)
उत्पन्न होने लगता
है .इस स्थिति
में इंसान प्राय:
शराब ,ड्रग्स या
तनाव दूर करने
वाली दवायों का
सहारा खोजता है
. विशेषकर ग्लेमर वर्ल्ड में
जहाँ केवल सुन्दरता
,सांचे में ढला
शरीर और जवानी
को ही ताज्व्वो
दी जाती है
वहां बढती उम्र
और घटती सुन्दरता सेलिब्रिटी के
मन में एक
आतंक ,एक डर
पैदा कर जाती
है वह अपनी
ही सफलता से
डरने लगता है
कि कही वह
बूढ़ा न हो
जाए ,कही उसकी
जवानी कम न
हो जाए या
कही उसके चेहरे
पर व शरीर
से उम्र का
असर झलकना न
शुरू हो जाए
. चेहरों पर मेकअप
की परते भी
बढती जाती थी,
लेकिन जबसे मेडिकल
साइंस ने तरक्की की
है सदा जवां
रहने की चाह
और बढती जा
रही है .सेलिब्रिटिस
द्वारा चेहरे व गर्दन
पर झुर्रिया छुपाने
हेतु बोटॉक्स के
इंजेक्शन लगवाना ,नैसर्गिक शरीर
/ चेहरे को बिजनेस
के अनुसार सांचे
में ढालने के
लिए प्लास्टिक सर्जरी
करवाना ,कम होते
बालो के लिए
हेयर विविग ,तनाव
से बचने के
लिए ड्रग्स के
ओवरडोज़ ,असीमित एंटीबायोटिक्स का
प्रयोग आदि बाते
आम हो चुकी
है .
एक आम
आदमी दिनभर बाहर
काम करके घर
लौटता है तो
पेट भर कर
खाना खाता है
.उसे ये चिंता
नहीं होती है
कि अगर उसने
ज्यादा खा लिया
या खाने में
चावल ले लिया
तो उसकी कमर
पर 2 इंच चर्बी
बढ़ जाएगी ,इसलिए
प्राय: उसे डिप्रेसन
नहीं होता है. सेलिब्रिटी इसी तनाव
व चिंता में
भरपेट ,मनचाहा भोजन नहीं
कर पाता ,इसी
तनाव में उसे
नींद नहीं आती
और सफलता को
खोने का डर
और जवानी को
बचाए रखने की
चिंता उसे बिना
कोई साइड -इफ़ेक्ट जाने अंधाधुंध
दवाए खाने व
प्लास्टिक -सर्जरी ,बोटॉक्स इंजेक्शन
आदि दर्दनाक प्रक्रियायों
से गुजरने के
लिए प्रेरित करती
है . यद्यपि इन
सबसे दूर कुछ
सेलिब्रिटिस ऐसे भी
है जिन्होंने बढती
उम्र को सहज
रूप से स्वीकार
करके अपनी गरिमा
बनायीं है लेकिन
फिर भी ऐसे
सेलिब्रिटिस की संख्या
गिनी-चुनी ही है
.
ऐसी मानसिक समस्याए जो सफलता के साथ जन्म लेती है और प्राय:मौत के रूप में समाप्त होती है उनके लिए होमियोपैथी में अनेक असरकारक दवाए है जिनकी मदद से बिना किसी साइड इफ़ेक्ट के मानसिक और शारीरिक बीमारियों पर सफलतापूर्वक नियंत्रण पाया जा सकता है मुख्यत:सफलता अपने साथ
निम्नलिखित मानसिक बीमारियाँ ला
सकती है -----
डिप्रेसन
तनाव
अनिंद्रा
सफलता को खो
देने का भय
विचित्र व्यवहार जैसे यकायक
गुस्सा ,सार्वजानिक स्थलों से
चोरी करना आदि
जो कि होमियोपैथी से
ठीक हो सकती
है