Sunday, November 27, 2016

होम्योपैथी से रोके रक्तस्त्राव को

              
होम्योपैथी से रोके रक्तस्त्राव को



 रक्तस्त्राव यानी शरीर के किसी भाग से खून निकलना कई बार हॉस्पिटल ले जाने तक अधिक ब्लीडिंग हो जाने के कारण बहुत से लोग असमय मौत के मुहं में समा जाते हैं यदि उन्हें समय पर मेडिसिन दी जाए तो बहुत सी जिन्दगी बचायी जा सकती हैं अक्सर बहुत से लोग खून देखते ही घबरा  जाते हैं लेकिन घबराने की जरुरत नहीं हैं, क्योकि होम्योपैथी  में बहुत सी ऐसी दवाईयाँ होती हैं जिन्हें यदि रोगी को 5-5 मिनट के अन्तर से लगायी और खिलाई जाए तो ब्लीडिंग को तुरंत रोका जा सकता है, और उस व्यक्ति की जान बचायी जा सकती हैं   

रक्तस्त्राव के कारण .....

रक्तस्त्राव के कई कारण होते हैं जैसे .....

1)      चोट या एक्सीडेंट के कारण ब्लीडिंग होना 
2)      नकसीर यानी नाक  से  खून  आना   
3)      दांत निकलवाने के बाद ब्लीडिंग  होना   
4)      खून की उल्टी होना   
5)      पेचिश (Dysentry) में खून जाना   
6)      पीरियड्स में अधिक रक्तस्त्राव होना    
7)      बलगम (cough) में खून आना 
8)      बबासीर (piles) में ब्लीडिंग होना   
9)      पेशाब (Urine) में खून आना   
10)  टी.बी.में फेफड़ों (Lungs) से ब्लीडिंग होना   
11)  गर्भावास्था में ब्लीडिंग होना 


होम्योपैथिक मेडिसिन ......ऐसे तो होम्योपैथी में बहुत सारी दवाईयां रक्तस्त्राव रोकने के लिए होती है  जिनमे से कुछ के बारे में मैं जानकारी दे रही हूँ, ताकि उसे दे कर किसी की जान बचायी जा सके.....


केलेंडुला (Calendula).....

कहीं भी कटने, चोट लगने या घाव पर इसे लगाया जाये तो ब्लीडिंग तुरंत रुक जाती हैं यह किसी भी प्रकार के घाव को बहुत तेजी से भरती हैं

आर्निका (Arnica).....

यह ब्लड केपीलरिस (Blood-capillaris) पर  असर करती हैंएक्सीडेंट, चोट, घाव आदि से ब्लीडिंग होने पर यदि इस दवा को (Arnica 30) को यदि 5-5 मिनट के अंतर से खाने को दे तो ब्लीडिंग तुरंत रुक जाती हैं, साथ ही दर्द भी कम होता हैं शरीर में जगह-जगह काले-नीले निशान हो जाते हैं

मिलेफोलियम(Millefolium)....
    
रक्त शरीर में कही से भी निकलता हो, चाहे वो नाक, मुहं, बलगम, पीरियड्स, पेशाब, मल या किसी चोट या घाव से हो यदि रक्त का रंग लाल चमकदार है, तो इसे खाने को देने से ब्लीडिंग तुरंत रुक जाती हैं

हेमामेलिस (Hamamelis).....

यदि शरीर के किसी भी स्थान से काले या गहरे रंग का रक्त निकलता है, तो इसका प्रयोग करना उचित होता हैं पेचिस, पाईल्स, पेशाब, पीरियड्स आदि में यदि गहरे काले रंग का रक्त निकलता है, तो इसको खाने से ब्लीडिंग रुक जाती हैं


इपिकेक (Ipecac).....

हल्का लाल रंग का रक्त या चमकदार लाल रक्त शरीर के किसी भी भाग से जा रहा हो, उसे ये दवा तुरंत रोकती हैं रोगी को उल्टी आती है या जी मिचलाता हैंखांसी के साथ खून आता हैंनाक से खून जाता हैं

ट्रिलियम (Trillium)....

दस्त के साथ खून जाता हैंनाक से, दांत से, पीरियड्स में, डिलेवरी (प्रसव) के बाद ब्लीडिंग होने पर इसे देने से रक्तस्त्राव  रुक जाता हैंदांत निकलवाने से ब्लीडिंग होने पर इसे (Trillium Q) लगाने से ब्लीडिंग रुक जाती हैं

नाइट्रिक-एसिड (Nitric-Acid).....

धमनी और केशिकायो( Arteries & Capillaries) से ब्लीडिंग होती हैंकमरदर्द के साथ यूट्रस (Utrus) से ब्लीडिंग होती हैंकिसी भी प्रकार के अल्सर, मस्से आदि से ब्लीडिंग होना, piles में खून जाना




नोट-  होम्योपैथी में  रोग  के  कारण  को  दूर  करके  रोगी को  ठीक  किया  जाता  है।  प्रत्येक  रोगी  की  दवा, उसकी पोटेंसी,डोज आदि  उसकी शारीरिक  और मानसिक अवस्था के अनुसार अलग-अलग  होती हैं। अतः बिना चिकित्सकीय परामर्श यहां दी  हुई किसी भी दवा का उपयोग  करें।  रोग और होम्योपैथी दवा के बारे में  और अधिक जानकारी के लिए यहां लॉग इन  कर सकते हैं।

होम्योपैथी से स्वथ्य रखे किडनी को

                   होम्योपैथी से स्वथ्य रखे किडनी को    
 


पिछले कुछ सालो में किडनी के रोगी बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं कई बार सही जानकारी नहीं होने के कारण या देर से ईलाज के कारण बहुत से रोगी मौत के मुहं में समा जाते हैमैंने एक छोटी सी कोशिश की हैं किडनी फेल होने के बारे में कुछ जानकारी देने कि ताकि समय पर रोगी को ईलाज मिल सके और उसकी जिन्दगी को बचाया जा सके


क्या होता है किडनी फेल होना .....

हमारे शरीर में दो गुर्दे यानि किडनी होती हैंजिनका मुख्य काम रक्त को छान कर विषैले पदार्थो को मूत्र (urine) के द्वारा शरीर से बाहर करना हैंइसके अलावा  किडनी के अन्य कार्य भी होते है जैसे ब्लड-प्रेशर को कंट्रोल करना, शरीर के इलेक्टोलाइट (Electrolyte) को बैलेंस करना, रेड ब्लड सेल के प्रोडक्शन को stimulate करना जब किडनी विषैले पदार्थो को किसी कारण से बाहर निकालने में असमर्थ होती है तो उसे किडनी फेल होना कहते हैं


किडनी फेल होने के प्रकार .....

मुख्यत: 2 प्रकार होते हैं.....

एक्यूट रीनल फेलियर (Acute renal failure) ....जब अचानक से किडनी विषैले पदार्थो को निकालना बंद कर दे

क्रोनिक रीनल फेलियर (Chronic renal failure)..... जब किडनी बहुत लम्बे समय से अपना कार्य ना कर पा रही हो
  


कारण....
·         अचानक किडनी में रक्त की सप्लाई (supply) कम हो जाना
·         उल्टी,दस्त,पसीना या किसी अन्य  कारण  से शरीर में  पानी की कमी होना  यानि (Dehydration) होना
·         किसी दवाई के साइड-इफ़ेक्ट के कारण
·         कम पानी पीने के कारण
·         जलने के कारण शरीर में पानी की कमी होने से
·         किसी बीमारी के कारण जैसे डायबीटिज, हदयरोग, किडनी स्टोन आदि
·         ब्लैडर या युरेटर में कोई रूकावट आने के कारण (यूरिन वापिस किडनी में जाती हैं जिससे किडनी डैमेज होती हैं)
·         हाइपर टेंशन
·         गलत खान-पान के कारण  



 लक्षण......

अक्सर कुछ लोगो की आँखों के नीचे सूजन आ जाती हैं, जो कि किडनी के कार्य में रूकावट आने का संकेत होता हैं इसे अनदेखा नहीं करना चाहिए        
 

·        आँखों के नीचे सूजन आना
·        हाथ-पैरो में और चेहरे पर सूजन आना
·        थकान लगना
·        सांस लेने में तकलीफ होना
·        कमजोरी लगना
·        भूख कम लगना
·        वजन कम होना
·         रात में बार-बार पेशाब हो
·         पेशाब में खून आना
·         पेशाब की मात्रा कम या ज्यादा होना
·         रक्त की कमी होना (Anemia)
·         नींद ठीक से ना होना  



होम्योपैथिक मेडिसिन .....

होम्योपैथी में किडनी रोग के लिए बहुत सारी मेडिसिन हैं, जो रोगी के शारीरिक और मानसिक लक्षण देख कर दी जाती हैं जिनमे से कुछ मेडिसिन के बारे में जानकारी दे रही हूँ किडनी रोग एक गंभीर रोग है, जिसमे सही समय पर ईलाज नहीं मिलने पर रोगी की मृत्यु तक हो सकती हैं अत: स्वयं ईलाज करने की चेष्टा ना करे .....


एपिस-मेलिफिका (Apis-Mel)...

पूरे शरीर में सूजन रहती है, खास कर चेहरे और आँखों पर सूजन रहती है  पेशाब में रूकावट होती है जिससे बार-बार पेशाब जाने की चाह होती है, परन्तु पेशाब कम मात्रा में होती हैं प्यास नहीं लगती हैं पसीना नहीं आता है पेशाब में जलन होती हैं पेशाब में एल्ब्यूमिन की मात्रा बढ़ जाती हैं रोगी को गर्मी सहन नहीं होती हैं कभी-कभी पेशाब बिलकुल बंद हो जाती हैं सिर, कमर और हाथ-पैरो में दर्द रहता हैं पेशाब में झाग और बदबू आती है
  


केंथेरिस (Cantharis)....

पेशाब में जलन के साथ खून जाता हैं पेशाब बूंद-बूंद कर होता हैं बार-बार पेशाब जाने की ईक्छा होती हैं, कभी-कभी तो दो-दो मिनिट बाद ही जाना पडता हैं पेशाब करने के पहले, करते समय और बाद में काटता हुआ दर्द होता हैं जलन होती हैं नेफ्राईटिस (Nephritis / किडनी की सूजन)


प्लंबम-मेट (Plumbum-Met)....

पेशाब बार-बार लेकिन कम मात्रा में होती हैं पेशाब की स्पेसिक-ग्रेविटी कम होती हैं पेट में तेज दर्द होता हैं ये दवा किडनी रोग को बढ़ने से रोकती हैं यह क्रोनिक इंटरस्टिसिअल नेफ्राईटीस (Chronic Interstitial Nephritis) नामक बीमारी (जिसमे किडनी के ट्यूब (kidney tubules) के बीच में सूजन आ जाती हैं ) में उपयोगी हैं


 बरबेरिस-वल्गेरिस (Berb-Vulg)....

पेशाब में जलन होती हैं पेशाब करने के बाद ऐसा लगता हैं, मानो अभी कुछ पेशाब ब्लेडर में ही रह गया हैं पथरी का भयंकर दर्द होता हैं पेशाब में यूरिक-एसिड की मात्रा बढ़ जाती हैं पेशाब में पस-सेल और म्यूकस पाया जाता है पेशाब करते समय जांघो में दर्द होता हैं दर्द पीठ से ले कर आगे पेट तक आता हैं


 एपोसाइनम (Apocynum)...

प्यास बहुत ज्यादा लगती हैं पेशाब कम होती हैं, जिससे पूरे शरीर में सूजन रहती हैं बैचेनी रहती हैं बहुत ज्यादा उल्टी होती हैं



टेरीबिन्थ (Terebinth)....

पेशाब  में मीठी सी गंध आती हैं पेशाब बूंद-बूंद होता हैं जिसमे खून और जलन होती हैं ये  ब्राइट-डिजीज, नेफ्राईटीस, एल्बुमिनोरिया आदि किडनी के सभी रोगों में बहुत उपयोगी हैं पीठ में किडनी की जगह धीमा-धीमा दर्द होता हैं चलने-फिरने से तकलीफ कम होती हैं गहरे रंग की धुँआ छोड़ने वाली पेशाब होती हैं ये किडनी रोग के प्रथम स्टेज में उपयोगी हैं


कोपेवा (Copaiva)...

यह खास कर महिलायों की किडनी या पेशाब की समस्या के लिए उपयोगी हैं पेशाब करते समय जलन होती हैं बूंद-बूंद करके पेशाब होती हैं पेशाब करने की लगातार ईक्छा होती हैं परन्तु पेशाब नहीं  होता हैं बदबूदार पेशाब होती हैं





नोट--  होम्योपथी में  रोग के कारण को दूर करके रोगी को ठीक किया जाता है। प्रत्येक रोगी की दवा उसकी पोटेंसी, डोज आदि उसकी शारीरिक और मानसिक अवस्था के अनुसार अलग-अलग होती है। अतः बिना चिकित्सीय परामर्श के यहां दी हुई किसी भी दवा का उपयोग न करें। रोग और होम्योपथी दवा के बारे में और अधिक जानकारी के लिए यहां लॉगइन कर सकते हैं।

Wednesday, July 27, 2016

क्या आपको भी अमावस्या या पूर्णमासी पर तकलीफ होती हैं

         क्या आपको भी अमावस्या या पूर्णमासी पर तकलीफ होती हैं







अक्सर कुछ लोगो को ये कहते सुना होगा कि अमावस्या या पूर्णमासी पर या उसके आस-पास  उनकी तबियत बिगड़ जाती हैं, या चिडचिडाहट ज्यादा होती हैं इस समय उन्हें गुस्सा ज्यादा आता हैं, या उदासी लगती हैं कुछ लोगो का मानना है कि उन्हें किसी ने कुछ जादू-टोना कर दिया हैं या नजर लग गयी हैं



लेकिन ऐसा नहीं  हैं, ये किसी भूत-प्रेत या जादू-टोने के कारण नहीं होता हैं चूँकि हमारे शरीर में लगभग 60% तक पानी होता हैं, और अमावस्या या पूर्णमासी पर समुद्र में ज्वार-भाटा आता हैं जिसका असर हमारे शरीर पर भी पड़ता हैं, और यही कारण हैं कि कुछ लोग जो बहुत ज्यादा संवेदनशील होते हैं, इस समय बीमार पड़ते हैं, या उनको किसी भी प्रकार की शारीरिक या मानसिक परेशानी ज्यादा होती हैं।यहाँ तक कि जानवरों और पेड़-पौधों पर भी इसका असर पड़ता हैं। 




लेकिन होम्योपैथी से इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता हैं। जी हाँ होम्योपैथी इंसानों के साथ-साथ जानवरों और पेड़-पौधों पर भी असर करती हैं। 



पूर्णमासी पर होने वाली तकलीफ की होम्योपैथिक मेडिसिन .....



एलुमिना(Alumina)
केल्केरिया-कार्ब (Calc-Carb)
ग्रेफाईटिस(Graphtis)
साईलिसिया(Silicea)
सेबेडीला(Sabadilla)




अमावस्या पर होने वाली परेशानी की होम्योपैथिक मेडिसिन ....



कास्टीकम (Causticum)
साईलिसिया (Silicea)
एलुमिना (Alumina)
क्लेमेटिस-एरेक्टा (Clemtis-Erecta)




चंद्रमा की रोशनी में तकलीफ हो ....


एन्टिम-क्रूड (Antim-Crud)
थूजा (Thuja)
आर्ज-नेट (Argentum-Nitricum)
लूना(Luna)







नोट-  होम्योपैथी में  रोग  के  कारण  को  दूर  करके  रोगी को  ठीक  किया  जाता  है।  प्रत्येक  रोगी  की  दवा, उसकी पोटेंसी,डोज आदि  उसकी शारीरिक  और मानसिक अवस्था के अनुसार अलग-अलग  होती हैं। अतः बिना चिकित्सकीय परामर्श यहां दी  हुई किसी भी दवा का उपयोग  करें।  रोग और होम्योपैथी दवा के बारे में  और अधिक जानकारी के लिए यहां लॉग इन  कर सकते हैं।