Wednesday, July 8, 2015

फंगल इन्फेक्शन और होम्योपैथी


          फंगल इन्फेक्शन और होम्योपैथी  




बारिश का मौसम आते ही जहाँ मन खुश हो जाता हैं वही कुछ स्वास्थ्य से संबधित परेशानियाँ  भी होती हैं जिसमे सबसे ज्यादा तकलीफ होती हैं चर्म रोग से, क्योकि नमी के कारण ये तेजी से फैलता हैं चर्मरोग में सबसे आम बीमारी है फंगल इन्फेक्शन, जो गर्मी और बारिश में बहुत होता हैं इसे साधारण भाषा में दाद भी कहते हैं  दाद एक प्रकार का चर्मरोग होता हैं, जो किसी भी प्रकार की क्रीम या दवा लगाने या खाने के बाद भी बार बार हो जाता है, परन्तु होम्योपैथी की दवायो से यह कुछ ही समय में हमेशा के लिए ठीक हो जाता हैं यह किसी को भी किसी भी उम्र में हो सकता हैं यह शरीर के किसी भी भाग में हो सकता हैं  इसे रिंगवर्म भी कहते हैं बारिश और गर्मी के मौसम में यह ज्यादा तेजी से फैलता हैं 

  

कारण ......


वैसे तो यह टीनिया नामक  वायरस के कारण माना जाता है, परन्तु होम्योपैथी के अनुसार शरीर में सोरा दोष और टूबरकूलर (tubercular diathesis)माना जाता हैयह किसी वर्म या कीड़े के कारण नहीं होता हैशरीर के अलग अलग जगह पर होने के कारण इसके अलग –अलग नाम है, जैसे शरीर में हैं, तो टीनिया कार्पोरिस (tenia corporis), सिर में है तो टीनिया केपेटिस(tenia capatis), पैर में है तो टीनिया पेडिस (tinia pedis), हाथो में है तो टीनिया मेनम(tinia menum) आदियह बहुत तेजी से फैलने  वाला रोग होता है नमी या पसीने के कारण यह तेजी से फैलता हैं अधिकतर लोगो को यह groin area में ज्यादा होता है 



लक्षण


दाद वाले स्थान पर खुजली होना
दाद में जलन होना
त्वचा पर लाल रंग के गोल-गोल चकत्ते होना
चिपचिपा सा पानी बहना
गले में हमेशा कफ आते रहना
आंव(dysentery) की तकलीफ होना
चिडचिडापन होना




होम्योपेथिक दवाए ......


होम्योपेथिक दवायों से दाद हमेशा के लिए ठीक हो जाता है होम्योपैथी मे रोगी के शारीरिक और मानसिक लक्षण के अनुसार दवा दे कर रोग को ठीक किया जाता है




क्रासोबियम(CHRYSAROBINUM 30).....


यह त्वचा पर बहुत तेजी से काम करती है पैर और जाघों (LEGS & THIGHS) में अत्याधिक खुजली होना दाद से एक विशेष प्रकार की गंध वाला पानी निकलना त्वचा (skin) पपड़ी(dandruff) के रूप में निकलती है यह दाद का पानी सुखा कर चर्म (skin) को रोगमुक्त करती है


बेसिलिनम (BACILLINUM 200)….


फेफड़ो (lungs) की पुरानी तकलीफ, रिंगवर्म ,एक्जिमा,सांस संबधित तकलीफ, गले की ग्लांड्स बढ़ी हुई रहती हैं चिड़चिड़ापन और डिप्रेशन रहे (इस दवा को बार- बार रिपीट न करे)



पेट्रोलियम (PETROLEUM)….


 त्वचा बहुत ज्यादा रुखी  (DRYNESS OF SKIN) होती हैंरात में ज्यादा खुजली होती  हैं त्वचा इतनी खुरदुरी(ROUGH & CRACKED) होती हैं, कि जरा में ही खून निकल आता हैंअकसर चर्म रोग ठण्ड में बढ़ता हैं बारीक-बारीक पानी भरे छाले हो जाते हैंखुजली के साथ जलन होती हैंउगंलियो के सिरे फटे हुए रहते हैं



ग्रेफैटिस( GRAPHITES)…


दाद या किसी भी प्रकार के चर्मरोग से पानी बहता रहे जो शहद के समान चिपचिपा होछोटी से छोटी चोट भी पक जाती हैंत्वचा में दरारे पड़ जाती है उंगलियों के नाख़ून काले हो जाते हैं, और फट जाते हैंचर्मरोग के साथ-साथ गले में कफ की तकलीफ होकब्ज की शिकायत रहे त्वचा में रात को तकलीफ ज्यादा हो,लेकिन ढँक कर रखने से कम हो जाती हैं सिर में खुजली हो



क्रोटन-टिग(CROT-TIG)….


बहुत ज्यादा खुजली हो खास कर जननागों (GENITAL AREA) में खुजली के बाद दर्द होपानी भरे छाले हो, हेर्पिस-जोस्टर, पस भरे दाने, कुछ भी खाते पीते ही दस्त लग जाए



रस-टोक्स(RHUS-TOX)…

 
त्वचा पर पानी भरे छाले हो जाते हैं त्वचा लाल रंग की होती हैं अत्याधिक जलन होती हैं त्वचा सूख कर झरती हैं बहुत ज्यादा खुजली होती हैं अत्याधिक बेचैनी रहती है त्वचा रोगों के साथ-साथ जोड़ो का दर्द होता हैबहुत ज्यादा नींद आती हैं



   

नोट -होम्योपैथी  में  रोग  के  कारण  को  दूर  कर  के  रोगी  को  ठीक  किया  जाता  है।  प्रत्येक  रोगी  की  दवा  उसकी  शारीरिक  और  मानसिक  अवस्था  के  अनुसार  अलग-अलग  होती  है।  अतः बिना  चिकित्सकीय  परामर्श  यहां  दी  हुई  किसी  भी  दवा  का  उपयोग    करें।