Monday, September 18, 2017

शरीर के संकेतो को अनदेखा ना करे

            शरीर के संकेतो को अनदेखा ना करे  



जब कोई बीमार होता हैं तो डॉ. तरह-तरह के टेस्ट कराने को कहते हैं, जिससे रोग और उसके कारण का पता लगाया जा सके (जो कि हर बीमारी में जरुरी नहीं होता हैं) कई बार ईलाज से ज्यादा खर्चा तो इन टेस्ट को कराने में ही हो जाता हैं कई बार रिपोर्ट्स सही भी नहीं होती हैं, या रिपोर्ट्स नार्मल आती हैं, परन्तु उस व्यक्ति को तकलीफ बनी रहती हैं।  कई बार दो लैब की रिपोर्ट भी अलग-अलग आ जाती हैंनतीजा ये निकलता हैं कि मरीज के पास रिपोर्ट्स की ढेर सारी फाइल एकत्रित हो जाती हैं, और बीमारी वहीँ के वहीँ रहती हैं    

हमारा शरीर खुद एक डॉक्टर होता हैं हर आने वाली बीमारी या शरीर में होने वाले परिवर्तन को वो खुद बता देता हैं, परन्तु हम शरीर के इन संकेतो को अनदेखा कर देते हैं यदि हम अपने शरीर के इन संकेतो को वक्त रहते समझ जाए तो बहुत सी बीमारियों का सही समय पर ईलाज करा सकते हैं जैसे कुछ के बारे में मैं यहाँ जानकारी दे रही हूँ  ......

·         जीभ पर सफ़ेद या भूरे रंग का मैल जमना पेट की खराबी को बताता हैं
·         निमोनिया, प्लूरिसी आदि रोग में नाक के नथुने तेजी से फडकते हैं
·         अधिक थकावट या पुराने कब्ज में आखों के नीचे कालापन आ जाता हैं
·         कमजोरी, खून की कमी, ल्यूकोरिया (श्वेत-प्रदर) आदि में आँखों के चारो तरफ कालापन आ जाता हैं
·         किडनी के कार्य में रूकावट आने पर आँखों के नीचे सूजन आ जाती हैं
·         बुखार आने पर होंठों के कोने पर सफ़ेद छाले हो जाते हैं
·         पीरियड्स कम आने पर गालो पर झाईयां हो जाती हैं
·         फेफड़ो (lungs) में इन्फेक्शन होने पर गाल लाल हो जाते है
·         टायफाईड में शाम को शरीर का तापमान एक डिग्री बढ़ जाता हैं
·         पेट में कीड़े होने पर बच्चे सोते समय दांत किटकिटाते हैं या सोते समय  बिस्तर पर यूरिन कर देते हैं
·         पेट में कीड़े होने पर बच्चों को नाक और मलद्वार में खुजली होती हैं
·         तिल्ली बढ़ने पर जीभ का रंग सफ़ेद हो जाता हैं
·         आंतो और पेट के रोग में जीभ पर छाले या घाव हो जाते हैं
·         पेट में कीड़े होने पर चेहरे पर हलके सफ़ेद रंग के धब्बे हो जाते हैं
·         लो ब्लडप्रेशर  और खून की कमी होने पर आँखों के आगे अँधेरा छा जाता हैं
·         महिलायों में यूट्रस (बच्चेदानी) में रोग होने पर हाथ की उँगलियों के पीछे कालापन आ जाता हैं
·         अधिक वीर्यनाश से गाल पिचक जाते हैं
·         पेट के रोग या किसी लम्बी बीमारी में होंठ फटने लगते हैं
·         हाइपोथायराइडिज्म (थाइरोइड ग्लैंड का हरमोन कम निकलना) में गले में सूजन आ जाती हैं

यदि आप बड़ी बीमारी से बचना चाहते हैं, तो अपने शरीर के छोटे से छोटे परिवर्तन को भी अनदेखा न करे         



   

कॉर्न्स और होम्योपैथी

                    कॉर्न्स और होम्योपैथी





अक्सर कुछ लोगो को पैर के तलवे (नीचे का भाग),उँगलियों में गोल कड़क सी गठान जैसी हो जाती हैं, जिसे गोखरू, कॉर्न्स (corns), कील, गट्टे, callus आदि कहा जाता हैंइसमें पीड़ित व्यक्ति को चलने-फिरने में तकलीफ होती हैं, दर्द होता हैंपैर जमीन पर रखने में दर्द होता हैंये एक के बाद एक होती जाती हैं



कारण....


स्किन पर बार-बार प्रेशर पड़ने के कारण कील की तकलीफ होती हैंअधिकतर लोगो को जूतों के कारण होता हैंवैसे होम्योपैथी के अनुसार कील की समस्या सायकोटिक मियास्म के कारण  होती हैं 



प्रकार ....

ये 2 प्रकार का होता हैं .... सॉफ्ट और हार्ड
सॉफ्ट कॉर्न्स पैर की उँगलियों के बीच में अधिकतर होते हैं, लेकिन हार्ड कॉर्न्स उँगलियों के उपरी भाग पर होते हैं

   

होम्योपैथिक मेडिसिन ....


होम्योपैथी से कील की समस्या हमेशा के लिए समाप्त हो जाती हैं, और दुबारा नहीं होती हैं   हां ठीक होने में थोडा समय अवश्य लगता हैंजानकारी के लिए कुछ मेडिसिन के नाम बता रही हूँ ....


साईंलिसिया (SILICEA), एन्टिम-क्रूड (ANTIM-CRUD), हिपर-सल्फ(HEPAR-SULPH), इग्नेसिया (ING), फेरम-पिक(FERUM-PIC)




नोट-  होम्योपथी में रोग के कारण को दूर करके रोगी को ठीक किया जाता है। प्रत्येक रोगी की दवा उसकी पोटेंसी, डोज आदि उसकी शारीरिक और मानसिक अवस्था के अनुसार अलग-अलग होती है। अतः बिना चिकित्सीय परामर्श के यहां दी हुई किसी भी दवा का उपयोग न करें।