Friday, December 11, 2015

पीरियड्स रोकने के दुष्परिणाम

         पीरियड्स रोकने के दुष्परिणाम




पिछले कुछ वर्षो से महिलायों और लडकियों में एक चलन शुरू हुआ है, जिसका दुष्परिणाम जाने बिना एक दुसरे से जानकारी ले कर उपयोग करती हैं...... जी हाँ वो चलन हैं पीरियड्स को आगे बढाने का, पीरियड्स को तय समय पर आने से रोकने का आज कल महिलायों को कही जाना हो, पार्टी हो, कोई पूजा-पाठ हो, या कोई जरुरी काम हो और उस समय उनकी पीरियड्स की तारीख रहती हैं, तो बिना सोचे समझे, बिना डॉक्टर की सलाह के तुरंत मेडिकल स्टोर्स से दवाई खरीद कर खा लेती हैं, और पीरियड्स को कुछ समय के लिए आगे बढ़ा लेती हैं भारत जैसे धार्मिक देश में जहाँ पूजापाठ ,छुआछुत ज्यादा मानी जाती हैं, वहाँ यह चलन बहुत तेजी से फेल रहा हैं महिलाये स्वयं अपने शरीर की एक प्राकृतिक क्रिया को रोकती हैं उस क्रिया को डिस्टर्ब करती है, बगैर ये जाने कि उसका आगे चल कर क्या दुष्परिणाम होगा यहाँ तक कि छोटी बच्चियों तक को ये दवा देने में कोई परहेज नहीं करती हैं वो भी बिना डॉक्टर की सलाह के




क्या महिलाये या कोई भी इंसान एक दिन के लिए भी अपने  मल-मूत्र को  दवाई खा कर रोक सकता हैं, या कोई भी इंसान दवाई खा कर अपने शरीर की प्राकृतिक क्रियायो को रोक कर  स्वथ्य रह सकता हैं ???



नहीं ...क्योकि शरीर की प्राकृतिक क्रियायो में तनिक भी फेरबदल होने से उसका प्रभाव मनुष्य के तन और मन पर पडता हैं  जब हम एक दिन के लिए भी अपने मल-मूत्र को नहीं रोक सकते हैं, तो पीरियड्स को क्यों रोका जाता हैं ??? क्या पीरियड्स शरीर की प्राकृतिक क्रिया नहीं हैं???



चलिए जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर वो कौन सी गोली या दवाई हैं, जिससे कुछ समय के लिए पीरियड्स को रोका जाता है, और उसके क्या दुष्परिणाम है



यह नोररेजिस्त्रोंन (Norethisterone) इंसान द्वारा बनाया हुआ एक फीमेल हार्मोन होता हैं यह महिलायों के शरीर से प्राकृतिक रूप से  स्त्रावित होने वाला  प्रोजेस्ट्रोन (Progesterone) हार्मोन के समान हैं नोररेजिस्त्रोंन (Norethisterone) महिलायों के शरीर में प्रोजेस्ट्रोन (Progesterone) हार्मोन का लेवल बढ़ा देता हैं, जिस से पीरियड्स रुक जाता हैं




साइड-इफ़ेक्ट ......



अधिकतर महिलाये बिना किसी डॉक्टर की सलाह के बिना सोचे समझे ये दवा खाती हैं आईये देखते हैं कि इस दवा के और पीरियड्स रोकने के क्या-क्या साइड इफ़ेक्ट हैं ....




·       पीरियड्स अनियमित हो जाते हैं

·       इसे खाने के बाद अगले महीने के पीरियड्स में बहुत ज्यादा ब्लीडिंग होना   
·       दो पीरियड्स के बीच ब्लीडिंग हो सकती हैं

·       यूट्रस (Uterus) में फिब्रोइड, सिस्ट या गठान अथवा कैंसर हो सकता हैं 

·       ब्रैस्ट में भारीपन, सूजन या गठान हो जाना 

·       ल्यूकोरिया(श्वेत-प्रदर) की शिकायत हो सकती हैं

·       थकान होना

·       चिडचिडाहट होना

·       शरीर में अनचाहे बालो की वृद्धि होना अर्थात चेहरे पर बाल आना

·       पिम्पलस (मुंहासे) या झाइयां(Pigmentaion) होना

·       लिवर की प्रॉब्लम होना

·       कब्ज या दस्त लगना

·       मुहं सूखना

·       सांस लेने में तकलीफ होती हैं

·       नींद डिस्टर्ब होना

·       चक्कर आना

·       हाथ-पैरो में सूजन आना



शरीर की प्राकृतिक क्रियायो के साथ खिलवाड़ करके अपने स्वाथ्य को न बिगाड़े इस लेख में यदि कोई कमी हैं तो कृपया अपनी सलाह अवश्य दे

डॉ.नीति श्रीवास्तव  

  





Tuesday, November 24, 2015

रजोनिवृति और होम्योपैथी

        रजोनिवृति  और होम्योपैथी




रजोनिवृति महिलायों के शरीर में होने वाली एक प्राकृतिक क्रिया हैं जिसमे मासिक-धर्म (periods)हमेशा के लिए बंद हो जाते हैं रजोनिवृत्ति होने पर स्त्री के शरीर में शारीरिक और मानसिक दोनों प्रकार के परिवर्तन  होते हैं। प्रत्येक स्त्रियों में रजोनिवृत्ति अलग-अलग  प्रकार से होती है। किस में मासिकधर्म अकस्मात्‌ बंद हो जाता है। कुछ में धीरे धीरे, एक या दो वर्ष में बंद होता है। दुनिया की प्रत्येक महिला इस अवस्था से गुजरती हैं जब 40 से 50 वर्ष की उम्र के बीच की महिला को एक वर्ष तक पीरियड्स नहीं होता हैं तो इसे रजोनिवृति (menopause) कहा जाता हैं इसे मीनोपॉज (Menopause) और Climacteric भी कहते है मीनोपॉज में पीरियड्स एकदम बंद नहीं होते है, ये धीरे-धीरे बंद होते हैं इस समय ओवरी से अंडे (egg) का निकलना बंद हो जाता है, तो महिला गर्भवती नहीं हो सकती हैं    



कब होता हैं मीनोपॉज......



किसी भी महिला की 40 से 50 वर्ष की आयु के बीच का समय मीनोपॉज का होता हैं, वैसे औसत आयु 51 वर्ष मानी गयी हैं 



लक्षण (SYMPTOMS)……प्रत्येक महिला के लक्षण अलग-अलग होते है




   बार-बार ठण्ड या गर्मी लगना (hot flashes)
·         पीरियड्स अनियमित होना या बिलकुल बंद हो जाना
·         कभी-कभी बहुत ज्यादा वैजाईनल ब्लीडिंग होना
·         नींद नहीं आना
·         चिडचिडापन होना
·         बार-बार बिना कारण के रोने का मन करना
·         छोटी-छोटी बात का बुरा लगना
·         कमजोरी लगना
·         भूख कम लगना
·         वजन बहुत बढ़ जाना
·         पेट बढ़ जाना 
·         जोड़ो में ,कमर में दर्द होना
·         वेजाइना (योनी) में सूखापन (dryness) लगना
·         ब्रैस्ट में भारीपन या दर्द होना
·         ब्रैस्ट की साइज़ कम या ज्यादा हो जाना
·         बार-बार यूरिन के लिए जाना पड़े 




होम्योपैथिक दवाए .....




रजोनिवृति एक प्राकृतिक क्रिया है, जिस से सभी महिलाये गुजरती हैं प्रत्येक महिला के लक्षण अलग-अलग होते है होम्योपैथी से मीनोपाज(menopause) के समय होने वाली तकलीफों को कम किया जा सकता है होम्योपेथी में बहुत सारी दवाए मीनोपॉज (menopause) के लिए होती है, जो रोगी के शारीरिक और मानसिक लक्षण के अनुसार दी जाती हैं यहाँ जानकारी के लिए कुछ दवायो के बारे में बताया जा रहा है, कृपया स्वयं चिकित्सा करने की कोशिश न करे



लेकेसिस (LACHESIS)......


मीनोपॉज के समय की तकलीफे होना,बार-बार गर्मी या ठण्ड लगना,बाईं ओवरी में दर्द होना, बैठ कर उठने में कमर में दर्द होना खास कर कमर के निचले भाग में, पीरियड्स में अत्याधिक ब्लीडिंग होना, दिल धडकना,किसी से मिलना-जुलना पसंद नहीं आये, सुबह उठते से ही मन उदास रहे,किसी काम में मन न लगे, ईर्ष्या की भावना रहे,चिडचिडी हो जाये,मानसिक परेशानी होने पर पसीना बहुत आये, शरीर में बाईं तरफ ज्यादा तकलीफ रहे


  

सिमिसिफ्युगा(CIMICIFUGA)......




अक्सर कमर दर्द होता रहता हैं डिप्रेशन रहता हैं रोगी बहुत ज्यादा बोलती हैं हमेशा बैचैन रहती हैं शरीर में झटके जैसे लगते रहते हैं ओवरी और जांघो में दर्द होता रहता हैं महिला अक्सर नर्वस रहती हैं आराम करने पर ठीक लगता हैं ऐसा लगता है जैसे सारा शरीर सुन्न हो रहा हो


 


ग्रेफाइटिस(GRAPHITIS).......



मिनोपौज के दौरान या बाद में कुछ महिलायों का वजन बढ़ता जाता हैं कभी ठण्ड लगती हैं कभी गर्मी लगती हैं चेहरे पर ज्यादा पसीना आता हैं पसीने में बदबू आती हैं कभी-कभी हाथो की उंगलिया सुन्न हो जाती हैं चर्म रोग(SKIN DISEASE) हो जाता हैं कभी-कभी पीरियड्स में बहुत ब्लीडिंग होती हैं, कभी-कभी बहुत कम होती हैं कब्ज अक्सर रहता हैं ब्रैस्ट में सूजन और भारीपन रहता हैं निप्पल में दरारे आ जाती हैं वैजाइना में सूखापन लगता हैं अक्सर कमजोरी लगती हैं चिडचिडापन, बिना कारण रोने लगती हैं मोटापा बढ़ता हैं





सीपिया(SEPIA)......



कभी ठण्ड तो कभी गर्मी लगे (Hot Flush),कमजोरी लगे,वजन बढ़ता जाता हैं खास कर पेट, भूख कभी बढ़ जाती हैं कभी कम हो जाती हैं सांस लेने में तकलीफ होती हैं नाक से खून आने लगता हैं  अनियमित पीरियड्स होते हैं योनी में सूखापन लगे, पीरियड्स में अत्याधिक ब्लीडिंग होती हैं कमरदर्द, चेहरे पर भूरे रंग के दाग (झाइयां/पिगमेंटेशन) हो जाते हैं मीनोपॉज के समय एंग्जायटी(ANXIETY) रहती है, जो शाम को बढती है और सुबह ठीक हो जाती है तनाव रहता है





सेंगुनेरिया(SANGUINARIA).....




मीनोपॉज के दौरान होने वाली तकलीफ,दाहिनी तरफ का सिरदर्द हो,पीरियड्स में बदबू आये,ब्रैस्ट में भारीपन लगे,गालो पर लालिमा और जलन हो न बुझने वाली प्यास लगती हैं ल्यूकोरिया,हथेलियो और पैर के तलुवे में जलन हो, उच्च रक्तचाप(HIGH BLOOD PRESSURE)रहता हैं





नोट - होम्योपथी में रोग के कारण को दूर कर के रोगी को ठीक किया जाता है। प्रत्येक रोगी की दवा उसकी शारीरिक और मानसिक अवस्था के अनुसार अलग-अलग होती है। अतः बिना चिकित्सकीय परामर्श यहां दी हुई किसी भी दवा का उपयोग न करें। रोग और होम्योपैथी दवा के बारे में और अधिक जानकारी के लिए यहां लॉग इन कर सकते हैं।