Wednesday, November 12, 2014

डायबीटीज से ऐसे निपटती है होम्योपैथी


           

                    

डायबीटीज से ऐसे निपटती है होम्योपैथी

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आज के समय में सिर्फ भारत अपितु समस्त विश्व में डाइबिटीज एक बड़ी समस्या होती जा रही हैं। आम भाषा में इससे शक्कर की बीमारी भी कहते हैं। यह एक गंभीर रोग होता है, जो धीरे -धीरे शरीर के अन्य अंगो को भी क्षतिग्रस्त कर देता हैं। स्त्रियों और पुरुष में इसका अनुपात 1:2 होता है, अर्थात 1 स्त्री और 2 पुरुष।



आइये जानते है कि  डाइबिटीज क्या है , क्यो और कैसे होती हैं ? इसके क्या क्या लक्षण होते हैं  , और क्या उपचार है।


क्या होती है डाइबिटीज---


हमारे शरीर मे पेन्क्रियाज नाम की एक ग्रंथी होती हैं, जिसे हिन्दी मे अग्नाशय  कहते हैं। इस ग्रंथी से कुछ हार्मोन्स का स्त्राव होता हैं । इंसुलिन पेन्क्रियाज से स्त्रावित होने वाला एक महत्वपूर्ण हार्मोन है।


इसी प्रकार हमारे भोजन मे कार्बोहाइड्रेट एक महवपूर्ण तत्व होता है। जिससे हमे केलोरी और  ऊर्जा प्राप्त  होती है। कार्बोहाइड्रेट हमारे शरीर मे जा कर ग्लूकोज के छोटे छोटे कनो मे बदल जाता है, और इसी ग्लूकोज को इंसुलिन शरीर की प्रत्येक कोशिकायो तक ले जाता हैं, जिससे शरीर को  प्राप्त ऊर्जा होती हैं। जब यह इंसुलिन शरीर मे बनना बंद हो जाता है या इसकी मात्रा इतनी कम रहती हैं कि कोशिकाओं तक नहीं पहुंच पाता हैं, तो ग्लूकोज कोशिकायो मे नहीं जा पाता हैं ,और रक्त मे ग्लूकोज की मात्रा बढ़ जाती हैं जिसे  डाइबिटीज कहते हैं।




एक स्वस्थ और सामान्य व्यक्ति में ग्लूकोज़ का स्तर---


एक स्वस्थ और सामान्य व्यक्ति में ग्लूकोज़ का स्तर भोजन के पूर्व  70 -100mg/dl और भोजन के पश्चात 120-140mg/dl होना चाहिए।यदि यह स्तर 140mg/dl से अधिक हो तो व्यक्ति को डायबिटिक माना जाता हैं।



इसके अलावा डायबिटीज के कुछ  कारण और होते हैं जैसे ..... 

 
-- इन्सुलिन की कमी
 

--हार्मोन्स में परिवर्तन
 

--तनाव
 

--गलत खान-पान
 

--उम्र
 

--मोटापा
 

--आलस और आरामदायक जीवनशैली
 

--कुपोषण
 

--दवाओं का अत्याधिक  सेवन




डायबिटीज के प्रकार ---


डायबिटीज मुख्यतः 3 प्रकार की होती हैं ...



टाइप 1  डायबिटीज --- 

इसमें इन्सुलिन नामक हार्मोन शरीर में नहीं बन पाता हैं,जिससे ग्लूकोज़ शरीर की कोशिकाओं को ऊर्जा नहीं दे पाता है। यह प्राय: किशोरावस्था में होती हैं।



टाइप डायबिटीज ---

इसमे इन्सुलिन तो बनता हैं, परन्तु इतनी कम मात्रा में कि रक्त में ग्लूकोज़ का स्तर अनियंत्रित हो जाता हैं। यह पीढ़ी दर पीढ़ी पाया जाता हैं। लगभग 90 % लोग टाइप 2  डायबिटीज से ही पीड़ित होते हैं।


 
गेस्टेसनल डायबिटीज – 

यह गर्भावस्था के दौरान होने वाली डायबिटीज होती हैं।




डायबिटीज के लक्षण—


--बार-बार पेशाब होना (रात के समय अधिक)


-- -प्यास अधिक लगना



--मुँह में सूखापन  लगना
 

--भूख अधिक लगना
 

-- पूरे शरीर में खुजली होना
 

--वजन कम होते जाना
 

--थकान कमजोरी लगना


--पैर सुन्न होना
 

--कोई घाव या चोट लगने पर देर से ठीक होना
 

--स्त्रियों में माहवारी सम्बधित कष्ट होना




डायबिटीज का होम्योपैथिक उपचार---


 डायबिटीज एक गंभीर रोग है। यदि कई सालो तक रक्त में ग्लूकोज़ का स्तर बढ़ा रहे तो शरीर के अन्य अंगो को भी नुकसान होने लगता है, लेकिन इसे  रोगी अपनी दैनिक दिनचर्या और खान-पान में सुधार करके तथा होम्योपैथिक दवाओं द्वारा इसे न सिर्फ कंट्रोल किया जा सकता है अपितु अन्य अंगो को भी क्षतिग्रस्त होने से बचाया जा सकता हैं। 




एसिड-फॉस (ACID-PHOS)—


 रोगी को पेशाब बहुत अधिक मात्रा में आता हैं, और उसमे शर्करा की मात्रा बहुत होती है। रोगी कमजोरी महसूस करता हैं, हाथ-पैरो में दर्द रहता है, पेशाब दूधिया रंग का होता हैं, मानसिक  और शारीरिक रूप से कमजोर रहता हैं। यह दवा डायबिटीज इनसेपिडस और डायबिटीज मेलिटस में उपयोगी है।


आर्स-अल्ब (ARS-ALBUM)—

मुँह सूखा रहे, बार बार प्यास लगे, रोगी को मरने का डर लगे, पूरे शरीर में खुजली हो, डायबिटीज वालो का गैंग्रीन होने पर यह दवा उपयोगी हैं।




यूरेनियम-नाइट्रेड (URANIUM-NITRATE)—


 मुँह और त्वचा में सूखापन, अत्याधिक भूख और प्यास लगना, पेशाब बहुत अधिक होना, कुपोषण के कारण होने वाली डायबिटीज होने पर यह दवा उपयोगी हैं।




नेट्रम–म्युर (NATRUM-MUR)—


 पूरे शरीर में डायबिटीज के कारण खुजली हो, त्वचा सूखी सी रहे, हर घंटे में पेशाब होने पर यह दवा उपयोगी हैं।




नेट्रम –सल्फ (NATRUM-SULPH)—


 रोगी को रात में बार बार पेशाब हो।




सीजीजियम- जम्बोलियम (syzygium-jambolanum)—


अत्याधिक प्यास, कमजोरी, दुर्बलता, पेशाब की स्पेसिफिक-ग्रेविटी बढ़ी हुयी, डायबिटीज के कारण होने वाले अलसर, शरीर के ऊपरी भाग में छोटे-छोटे लाल रंग के दाने होने पर ये दवा दी जा सकती है।




प्लम्बम –मेट(PLUMB-MET)—


तेजी से वजन कम हो, कमजोरी लगे, याददास्त कमजोर हो जाए, पैरो में पैरालिसिस हो, कब्ज, लगातार उल्टिया होती है।




अर्जेंटम -नाइट्रिकम (ARGENTUM-NITRICUM)—


 बहुमूत्र के रोगी को मीठा खाने की बहुत इक्छा हो, जी मचलाना, उलटी हो जाना, डिप्रेशन रहना, बहुत ज्यादा  पेशाब  होना जिसमे शर्करा की मात्रा बहुत हो तो यह दवा उपयोगी हैं।






नोट- होम्योपैथी में रोग के कारण को दूर करके रोगी को ठीक किया जाता है। प्रत्येक रोगी की दवा उसकी शारीरिक और मानसिक अवस्था के अनुसार अलग-अलग होती है। अतः बिना चिकित्सकीय परामर्श यहां दी हुई किसी भी दवा का उपयोग करें।


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