रजोनिवृति और
होम्योपैथी
रजोनिवृति महिलायों के शरीर में होने वाली एक प्राकृतिक क्रिया हैं
जिसमे मासिक-धर्म (periods)हमेशा के लिए बंद हो जाते हैं। रजोनिवृत्ति होने पर स्त्री के शरीर में शारीरिक और मानसिक
दोनों प्रकार के परिवर्तन होते हैं। प्रत्येक स्त्रियों में रजोनिवृत्ति अलग-अलग
प्रकार से होती है। किस में मासिकधर्म
अकस्मात् बंद हो जाता है। कुछ में धीरे धीरे, एक या दो वर्ष में बंद होता है। दुनिया की प्रत्येक महिला इस अवस्था से गुजरती
हैं। जब 40
से 50 वर्ष की उम्र के बीच की महिला को एक वर्ष तक पीरियड्स नहीं होता हैं तो इसे रजोनिवृति
(menopause) कहा जाता हैं। इसे मीनोपॉज (Menopause) और Climacteric भी कहते
है।
मीनोपॉज में पीरियड्स एकदम बंद नहीं होते है, ये धीरे-धीरे बंद होते हैं। इस समय
ओवरी से अंडे (egg) का निकलना बंद हो जाता है, तो महिला गर्भवती नहीं हो सकती हैं।
कब होता हैं मीनोपॉज......
किसी भी महिला की 40 से 50 वर्ष की आयु के बीच का समय मीनोपॉज का होता
हैं, वैसे औसत आयु 51 वर्ष मानी गयी हैं।
लक्षण (SYMPTOMS)……प्रत्येक महिला के लक्षण अलग-अलग होते है।
बार-बार
ठण्ड या गर्मी लगना (hot flashes)
·
पीरियड्स अनियमित
होना या बिलकुल बंद हो जाना
·
कभी-कभी बहुत ज्यादा
वैजाईनल ब्लीडिंग होना
·
नींद नहीं आना
·
चिडचिडापन होना
·
बार-बार बिना कारण
के रोने का मन करना
·
छोटी-छोटी बात का
बुरा लगना
·
कमजोरी लगना
·
भूख कम लगना
·
वजन बहुत बढ़ जाना
·
पेट बढ़ जाना
·
जोड़ो में ,कमर में
दर्द होना
·
वेजाइना (योनी) में
सूखापन (dryness) लगना
·
ब्रैस्ट में भारीपन
या दर्द होना
·
ब्रैस्ट की साइज़ कम
या ज्यादा हो जाना
·
बार-बार यूरिन के
लिए जाना पड़े
होम्योपैथिक दवाए
.....
रजोनिवृति एक प्राकृतिक
क्रिया है, जिस से सभी महिलाये गुजरती हैं। प्रत्येक
महिला के लक्षण अलग-अलग
होते है। होम्योपैथी से मीनोपाज(menopause) के समय होने
वाली तकलीफों को कम किया जा सकता है। होम्योपेथी में बहुत सारी दवाए मीनोपॉज (menopause)
के लिए होती है, जो रोगी के शारीरिक और मानसिक लक्षण के
अनुसार दी जाती हैं। यहाँ जानकारी के लिए कुछ दवायो के बारे में बताया
जा रहा है, कृपया स्वयं चिकित्सा करने की कोशिश न करे।
लेकेसिस
(LACHESIS)......
मीनोपॉज के समय की
तकलीफे होना,बार-बार गर्मी या ठण्ड लगना,बाईं ओवरी में दर्द होना, बैठ कर उठने में
कमर में दर्द होना खास कर कमर के निचले भाग में, पीरियड्स में अत्याधिक ब्लीडिंग
होना, दिल धडकना,किसी से मिलना-जुलना पसंद नहीं आये, सुबह उठते से ही मन उदास
रहे,किसी काम में मन न लगे, ईर्ष्या की भावना रहे,चिडचिडी हो जाये,मानसिक परेशानी होने पर पसीना
बहुत आये, शरीर में बाईं तरफ ज्यादा तकलीफ रहे।
सिमिसिफ्युगा(CIMICIFUGA)......
अक्सर कमर दर्द होता रहता हैं। डिप्रेशन रहता हैं। रोगी बहुत ज्यादा बोलती हैं। हमेशा बैचैन रहती हैं। शरीर में झटके जैसे
लगते रहते हैं। ओवरी और जांघो में दर्द होता रहता हैं। महिला अक्सर नर्वस रहती हैं। आराम करने पर ठीक लगता हैं। ऐसा लगता है जैसे सारा शरीर सुन्न हो रहा हो।
ग्रेफाइटिस(GRAPHITIS).......
मिनोपौज के दौरान या बाद में कुछ महिलायों
का वजन बढ़ता जाता हैं। कभी ठण्ड लगती हैं
कभी गर्मी लगती हैं। चेहरे पर ज्यादा
पसीना आता हैं। पसीने में बदबू आती
हैं। कभी-कभी हाथो की
उंगलिया सुन्न हो जाती हैं। चर्म रोग(SKIN
DISEASE) हो जाता हैं। कभी-कभी पीरियड्स
में बहुत ब्लीडिंग होती हैं, कभी-कभी बहुत कम होती हैं। कब्ज अक्सर रहता हैं। ब्रैस्ट में सूजन और भारीपन रहता हैं। निप्पल में दरारे आ जाती हैं। वैजाइना में सूखापन लगता हैं। अक्सर कमजोरी लगती हैं। चिडचिडापन, बिना कारण रोने लगती हैं। मोटापा बढ़ता हैं।
सीपिया(SEPIA)......
कभी ठण्ड तो कभी
गर्मी लगे (Hot Flush),कमजोरी लगे,वजन बढ़ता जाता हैं खास कर पेट, भूख कभी बढ़ जाती
हैं कभी कम हो जाती हैं। सांस लेने में
तकलीफ होती हैं। नाक से खून आने
लगता हैं। अनियमित पीरियड्स होते हैं योनी में सूखापन
लगे, पीरियड्स में अत्याधिक ब्लीडिंग होती हैं। कमरदर्द, चेहरे पर भूरे रंग
के दाग (झाइयां/पिगमेंटेशन) हो जाते
हैं। मीनोपॉज के समय
एंग्जायटी(ANXIETY) रहती है, जो शाम को बढती है और सुबह ठीक हो जाती है। तनाव रहता है।
सेंगुनेरिया(SANGUINARIA).....
मीनोपॉज के दौरान
होने वाली तकलीफ,दाहिनी तरफ का सिरदर्द हो,पीरियड्स में बदबू आये,ब्रैस्ट में
भारीपन लगे,गालो पर लालिमा और जलन हो न बुझने वाली प्यास लगती हैं। ल्यूकोरिया,हथेलियो और पैर के तलुवे में जलन हो, उच्च रक्तचाप(HIGH BLOOD PRESSURE)रहता हैं।