अस्थमा और होम्योपैथी
सर्दी का मौसम शुरू होते ही सबसे ज्यादा तकलीफ अस्थमा यानि दमा के
मरीजो को होती हैं। यह सांस
संबधी रोगों में सबसे ज्यादा कष्टकारी होता हैं। वैसे यह एक यूनानी शब्द है जिसका अर्थ
‘जल्दी-जल्दी सांस लेना’ या ‘सांस के लिए जोर लगाना’ हैं।
क्या होता है अस्थमा
.....
यह एक ऐसी अवस्था होती हैं जिसमे श्वसन मार्ग में किसी प्रकार की
रूकावट जैसे सूजन, सिकुडन या कफ़ आदि आ जाता हैं, रूकावट के कारण सांस लेने में और
कफ़ बाहर निकालने में तकलीफ होने लगती हैं। इसमें सांस फूलने या सांस नहीं आने के दौरे पड़ते
हैं, रोगी हवा को तरसता हैं।
किसको होता हैं
अस्थमा .....
अस्थमा स्त्री, पुरुष,
बच्चे किसी को भी हो सकता हैं।
प्रकार ....
अस्थमा दो प्रकार का
होता हैं ...
बाहरी (Extrinsic)....
यह बच्चो को या किशोरवस्था में होता हैं। इसके पेशेंट को बचपन में एक्जिमा
(skin-disease)की शिकायत रहती हैं, परिवार( Family History) में किसी को अस्थमा
रहता हैं यानि यह अनुवांशिक होता हैं। इस प्रकार के अस्थमा में अटैक रुक-रुक कर होता
हैं और पेशेंट जल्दी संभल जाता हैं।
भीतरी (Intrinsic)....
इस प्रकार का अस्थमा अधिकतर 35 से अधिक उम्र के लोगो को होता हैं।
बचपन में किसी भी प्रकार की चर्मरोग
(skin-disease) की शिकायत नहीं रहती हैं, न ही परिवार में किसी को अस्थमा होता हैं।
अटैक एकाएक और बहुत ही तेज (Severe) होता हैं।
यह किसी प्रकार के इन्फेक्शन या कसरत के बाद अटैक
पड़ता हैं।
कारण....
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ठंडी हवा या कोहरे से
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सांस की नली में वायरल इन्फेक्शन (viral respiratory tract
infection) के कारण
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किसी दवा के कारण
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धूल,धुएं पेंट या किसी प्रकार की गंध (अगबत्ती, परफ्यूम) के कारण
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तनाव के कारण
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किसी चीज की एलर्जी के कारण
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वातावरण के कारण
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गलत खान-पान के कारण
लक्षण.....
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सांस लेने में रोगी को कठिनाई होती हैं।
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अधिकतर सूखी खांसी आती हैं।
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तेज-तेज सांस चलती हैं।
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कभी-कभी बलगम (sputum) डोरी जैसा लम्बा खिंचता हैं।
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मुहं से सांस के साथ सीटी जैसी आवाज़ आती हैं।
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मुहं से सांस लेती पड़ती हैं।
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जब दौरा पड़ता है तो रोगी लेट नहीं पाता हैं।
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छाती (chest) में जकडन और दर्द होता हैं।
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पेशेंट बहुत जल्दी थक जाता हैं, हांफने लगता हैं।
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गले में बलगम (sputum) चिपक जाता हैं, जिसे निकालने के लिए पेशेंट
बार-बार खांसता हैं।
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रात को ज्यादा तकलीफ होती हैं।
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कमजोरी लगती हैं।
कब बढ़ता हैं अस्थमा ....
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अधिकतर रात को या सुबह-सुबह
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व्यायाम (Exercise) के बाद
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बारिश या ठंड के मौसम में
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ठंडी हवा या कोहरे से
होम्योपैथिक मेडिसिन ......
अस्थमा के लिए होम्योपैथिक दवाये बहुत सारी हैं जिनमे से कुछ के बारे
में जानकारी दे रही हूँ....
आर्सेनिक-एल्बम (Ars-Alb)...
इसके पेशेंट को रात को 12 बजे के बाद रोग बढ़ता हैं। बहुत ज्यादा बैचेनी और प्यास लगती हैं, दम घुटता
हैं रोगी लेट नहीं पाता हैं, सीने में जलन होती हैं। सांस रूकती सी लगती हैं। कफ़ झागदार और कम मात्रा में निकलता हैं। हर समय मरने का डर लगता हैं।
इपिकाक (Ipecac).....
लगातार खांसी आती हैं, एकाएक तेज अटैक होता हैं। रोग के शुरू में बैचेनी और उल्टी जैसा लगता हैं,
फेफड़ो (Lungs) से खून आने लगता हैं। नाक से खून आने लगता हैं। सीने में जकड़न लगती हैं।
ब्लेटा-ओरिएंटा (Blatta-Ori)...
दम घुटता हैं। सांस नहीं लेते बनती हैं। पस जैसा बलगम निकलता हैं। रोगी लेट नहीं पाता हैं। यह अस्थमा
के अटैक को कम करता हैं। सांस की
नालियों में सूजन रहती हैं।
सेनेगा (Senega).....
आवाज़ भारी हो जाती हैं। वृद्ध लोगो को होने वाला अस्थमा, खांसते समय पीठ
में दर्द होता हैं।
सीने में भारीपन लगता हैं। बलगम बहुत ज्यादा होता हैं। आवाज़ कभी-कभी बंद हो जाती हैं। सूखी खांसी आती हैं।
एसिड-सल्फ (
Acid-Sulph).....
वाहनों के धुएं, धूल आदि के कारण अस्थमा होता हैं। कफ़ के कारण गला चौक हो जाता हैं। गैस ज्यादा बनती हैं। सीने में जकड़न होती हैं।
कार्बो-वेज (Carbo-Veg)....
वृद्ध लोगो का अस्थमा, फेफड़ो से खून आ जाता हैं। बहुत ज्यादा डकारे आती हैं। सांस में सीटी सी बजती हैं। गले में खुजली होती हैं। आवाज़ फटी-फटी सी रहती हैं।
परहेज ....अस्थमा के रोगी को
ठंडी और खट्टी चीजो का परहेज रखना चाहिए।
नोट- होम्योपथी में
रोग के कारण को दूर करके रोगी को ठीक किया जाता है। प्रत्येक रोगी की दवा उसकी
पोटेंसी, डोज आदि उसकी
शारीरिक और मानसिक अवस्था के अनुसार अलग-अलग होती है। अतः बिना चिकित्सीय परामर्श
के यहां दी हुई किसी भी दवा का उपयोग न करें। रोग और होम्योपथी दवा के बारे में और
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