Sunday, August 2, 2015

श्वेत प्रदर और होम्योपैथी

श्वेत प्रदर और होम्योपैथी





 

ल्यूकोरिया(LEUCORRHOEA) या  श्वेत प्रदर यानी महिलायों की योनी से निकलने वाला सफ़ेद रंग का चिपचिपा स्त्रावचूँकि यह अधिकतर  सफ़ेद रंग का होता हैं, इसलिए इसे श्वेत प्रदर या सफ़ेद पानी  भी कहते है।इसे ल्यूकोरिया(LEUCORRHOEA) भी कहा जाता हैं स्वथ्य अवस्था में महिलायो कि योनी से को नम बनाये रखने के लिए म्यूकस-ग्लैंड  (mucus gland) से कुछ स्त्राव होता है, परन्तु  जब यह स्त्राव  बढ़ जाता  है, तो इसे प्रदर कहते है यह स्त्राव  सफ़ेद, क्रीम, हल्का पीला, काला, या लाल-भूरे  रंग का हो सकता है यह पानी जैसा पतला या जैली जैसा भी हो सकता है शुरू में यह कम होता  हैं परन्तु सही इलाज नहीं होने पर यह  बढ़ जाता है। लगभग 90% महिलाये इससे पीडित रहती हैं,लेकिन इसे साधारण समझ कर ईलाज नहीं कराती हैं कई बार शर्म या झिझक के कारण भी डॉ. की सलाह नहीं लेती है, और इस तकलीफ को भुगतती रहती हैं जिसके कारण वह कमजोर और दुर्बल होती जाती हैं इसकी निकलने की  मात्रा योनी में किसी इन्फेक्शन आदि के कारण बढ़ जाती है यह कोई रोग नहीं होता है, परन्तु दुसरे रोगों का कारण हो सकता हैंश्वेत प्रदर में योनि की दीवारों से या गर्भाशय ग्रीवा से श्लेष्मा(mucus) का स्राव होता है, जिसकी मात्रा, स्थिति और समयावधि अलग-अलग महिलायों में अलग-अलग होती हैं



  
कारण ....


 1)     बच्चेदानी में किसी प्रकार का रोग होने पर जैसे गठान,पोलिप या सुजन आदि के कारण

2)   बच्चेदानी का अपने स्थान से हट जाने के कारण

3)   योनी में कोई इन्फेक्शन के कारण
4)   बार-बार गर्भपात (abortion) के कारण
5)   सेक्सुअल एक्साइटमेंट  के कारण
6)   किसी लम्बी बीमारी के कारण
7)   गरिस्ट भोजन से
8)   किसी दवा के साइड-इफ़ेक्ट के कारण  
2)   बच्चेदानी का अपने स्थान से हट जाने के कारण
3)   योनी में कोई इन्फेक्शन के कारण
4)   बार-बार गर्भपात (abortion) के कारण
5)   सेक्सुअल एक्साइटमेंट  के कारण
6)   किसी लम्बी बीमारी के कारण
7)   गरिस्ट भोजन से
8)   किसी दवा के साइड-इफ़ेक्ट के कारण 

 

    

कब अधिक होता हैं .....



1)     पीरियड्स के पहले या बाद में


2)      योवनावस्था (during puberty) के आरम्भ में


3)      सेक्स कि उत्तेजना में (sexual excitement)


 




किस उम्र में होता हैं ----




एक छोटी बच्ची से ले कर वृद्ध महिला तक को हो सकता हैं 



  लक्षण----


                                   1)   योनी से श्वेत, चिपचिपा, बदबूदार स्त्राव होना


     2)    यह सफ़ेद, क्रीम, हल्का पीला, काला या लाल भूरे रंग का हो भी सकता हैं


3)      योनी में खुजली ,जलन होना


4)      कमर दर्द होना


5)      कमजोरी महसूस होना


6)      आँखों  के आगे अंधेरा छाना


7)      आँखों के चारो और काले घेरे होना


8)      पेट के निचले हिस्से में दर्द या भारीपन रहना


9)      भूख लगना


10)   चिड़चिड़ापन रहना


11)   पिंडलियों में दर्द होना (pain in calf)



  



 

होम्योपैथिक दवाए ......


होम्योपैथिक दवायो से ल्यूकोरिया बिना किसी साइड इफ़ेक्ट के बहुत जल्दी ठीक हो जाता है.....

   





1)   सीपिया (SEPIA)…..



पीले या हरे रंग का ल्यूकोरिया के साथ योनी में बहुत ज्यादा खुजली होनाबच्चेदानी(uterus) और योनी बाहर की तरफ निकल आना चेहरे पर भूरे-भूरे दाग हो जानारोगी हमेशा पैर के ऊपर पैर(cross leg) रख कर बैठती हैं,ताकि उसका यूट्रस (uterus) दबा रहेपीरियड्स अनियमित होते है योनी में दर्द होना बार-बार गर्भपात(aborsion)हो जाए 




2)   क्रियोजोट(KREASOTE)....



योनी में बहुत ज्यादा  खुजली होती है स्त्राव हलके पीले रंग का होता है कभी कभी योनी में  छाले  भी हो जाते है बदबूदार ल्यूकोरिया होता हैं पीरियड्स समय से 8 दिन पहले आ  जाता है जननांगो (genital organs) में सुजन आ जाती है मासिक-धर्म (period) के पहले या बाद में ल्यूकोरिया होना मासिक-धर्म बंद होने के समय (menopause) के समय की तकलीफ   


3)   पल्सेटिला (PULSATILLA)......




इस दवा की रोगी बहुत ही नाजुक होती है जरा-जरा सी बात पर रो देती हैं। पीरियड्स के पहले ल्यूकोरिया होता है, जो कि क्रीम रंग का होता हैं जिसमे जलन होती हैं रोगी को हमेशा थकान लगती हैं कमर में दर्द होता रहता हैं पीरियड्स अनियमित होते हैं, या किसी कारण से रुक जाते हैं रोगी को एनीमिया(खून की कमी) भी हो सकती है 

 



4)   ग्रेफाइटिस(GRAPHITES).....



इस दवा के रोगी को पानी जैसा पतला ल्यूकोरिया होता हैं जिसके कारण कमर में कमजोरी महसूस होती हैं। हमेशा कब्ज की शिकायत रहती हैं। ब्रेस्ट(Breast) में भारीपन और सुजन रहती हैं योनी में खुजली और दाने होते हैं इस दवा की रोगी को अक्सर चर्म-रोग (skin disease) की शिकायत रहती हैं 




5)   बोरेक्स (BORAX)......



रोगी को बहुत ज्यादा ल्यूकोरिया होता हैं, ऐसा लगता है मानो गर्म पानी बह रहा हो। अत्याधिक जलन होती है। एकदम सफ़ेद रंग का ल्यूकोरिया होता हैं। रोगी को नीचे देखने पर डर लगता हैयोनी में और मुहँ में छाले हो जाते हैं 


  


6)   कोक्युलस- इंडिका(COCCULUS-INDICA ) ....


  

दो पीरियड्स के बीच बहुत ज्यादा ल्यूकोरिया होता हैंपेट के निचले हिस्से में बहुत दर्द और भारीपन रहता हैमाहवारी के समय दर्द होता हैबहुत ज्यादा कमजोरी लगती हैं,यहाँ तक की रोगी को बोलने या खड़े होने तक में कमजोरी मालुम होती हैंपीरियड्स के समय अत्यधिक दर्द होता हैंहाथ-पैर कांपते हैं 





7)   एलुमिना (ALUMINA) ......


  पारदर्शी जैली जैसा ल्यूकोरिया होता हैजिसमे बहुत ज्यादा जलन होती हैंल्यूकोरिया सिर्फ दिन में या पीरियड्स के बाद होता हैंरोगी को हर समय थकान रहती हैंस्किन बहुत ज्यादा रुखी रहती हैंखून की कमी होती हैंल्यूकोरिया बहुत  ज्यादा मात्रा में होता हैंरोगी को चाक-मिटटी खाना अच्छा लगता है



  




नोटहोम्योपैथी  में  रोग  के  कारण  को  दूर  करके  रोगी को  ठीक  किया  जाता  है।  प्रत्येक  रोगी  की  दवा  उसकी  शारीरिक  और मानसिक  अवस्था  के  अनुसार अलग-अलग  होती हैं। अतः बिना चिकित्सकीय परामर्श यहां दी  हुई किसी भी दवा का उपयोग  करें।  रोग और होम्योपैथी दवा के बारे में  और अधिक जानकारी के लिए यहां लॉग इन  कर सकते हैं। अथवा संपर्क कर सकते हैं-
neeti.shrivastava@gmail.com


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