कॉर्न्स और होम्योपैथी
अक्सर कुछ लोगो को पैर के तलवे (नीचे का भाग),उँगलियों में गोल कड़क सी
गठान जैसी हो जाती हैं, जिसे गोखरू, कॉर्न्स (corns), कील, गट्टे, callus आदि कहा
जाता हैं। इसमें पीड़ित
व्यक्ति को चलने-फिरने में तकलीफ होती हैं, दर्द होता हैं। पैर जमीन पर रखने में दर्द होता हैं।
ये एक के बाद एक होती जाती हैं
कारण....
स्किन पर बार-बार प्रेशर पड़ने के कारण कील की तकलीफ होती हैं।
अधिकतर लोगो को जूतों के कारण होता हैं।
वैसे होम्योपैथी के अनुसार कील की समस्या
सायकोटिक मियास्म के कारण होती हैं।
प्रकार ....
ये 2 प्रकार का होता हैं .... सॉफ्ट और हार्ड
सॉफ्ट कॉर्न्स पैर की उँगलियों के बीच में अधिकतर होते हैं, लेकिन
हार्ड कॉर्न्स उँगलियों के उपरी भाग पर होते हैं।
होम्योपैथिक मेडिसिन
....
होम्योपैथी से कील की समस्या हमेशा के लिए समाप्त हो जाती हैं, और
दुबारा नहीं होती हैं। हां ठीक
होने में थोडा समय अवश्य लगता हैं। जानकारी के लिए कुछ मेडिसिन के नाम बता रही हूँ
....
साईंलिसिया (SILICEA), एन्टिम-क्रूड (ANTIM-CRUD),
हिपर-सल्फ(HEPAR-SULPH), इग्नेसिया (ING), फेरम-पिक(FERUM-PIC)
नोट- होम्योपथी में रोग के कारण को दूर करके रोगी
को ठीक किया जाता है। प्रत्येक रोगी की दवा उसकी पोटेंसी, डोज आदि उसकी शारीरिक और मानसिक अवस्था के
अनुसार अलग-अलग होती है। अतः बिना चिकित्सीय परामर्श के यहां दी हुई किसी भी दवा
का उपयोग न करें।
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